कुमार अनेकान्त की कवितायें
Wednesday, February 20, 2013
धर्म /संप्रदाय की समीक्षा
दूसरे के धर्म /संप्रदाय की समीक्षा करते वक्त हम जितने यथार्थवादी हो जाते हैं उतने यथार्थवादी यदि अपने धर्म/संप्रदाय की समीक्षा में हो जाएँ तो शायद हम सत्य को जान पायें | -कुमार अनेकान्त
Sunday, February 17, 2013
कथनी करनी
रास्ते की ईंट
रिश्तों का आधार
रोटी और प्यार
सच्चा प्यार
धर्म
अस्तित्व
असफलता भी स्वीकार
दूरी
जीना भी एक कला है
लूडो
मैं देखता हूँ
धार्मिक कौन ?
झूठ की कीमत
करोड़पति
महान
वेलेन्टाइन डे
सहजता ही प्रेम है
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