मुस्कुरा के मिलते हैं पालते हैं रंजिशें ,
दौरे जहां में कैसी स्वार्थ की हैं बंदिशें ?
रोज सौगातों की भी कैसी हो रही हैं साजिशें।
भीगता कुछ है नहीं और हो रही हैं बारिशें।।
दौरे जहां में कैसी स्वार्थ की हैं बंदिशें ?
रोज सौगातों की भी कैसी हो रही हैं साजिशें।
भीगता कुछ है नहीं और हो रही हैं बारिशें।।